5 SIMPLE TECHNIQUES FOR HINDI POETRY

5 Simple Techniques For Hindi poetry

5 Simple Techniques For Hindi poetry

Blog Article

मंद झकोरों के प्यालों में मधुऋतु सौरभ की हाला

बनी check here रहे वह मदिर पिपासा तृप्त न जो होना जाने,

इन दर्पणों में देखा तो - अमृत खरे की श्रुतिछंदा की समीक्षा ~ वाणी मुरारका

आह भरे वो, जो हो सुरिभत मदिरा पी कर मतवाला,

दे ले, दे ले तू मुझको बस यह टूटा फूटा प्याला,

और पुजारी भूला पूजा, ज्ञान सभी ज्ञानी भूला,

मेरे ही स्वर से फिर सारी गूँज उठेगी मधुशाला।।६०।

बेलि, विटप, तृण बन मैं पीऊँ, वर्षा ऋतु हो मधुशाला।।३०।

बजी नफ़ीरी और नमाज़ी भूल गया अल्लाताला,

हर्ष-विकंपित कर से जिसने, हा, न छुआ मधु का प्याला,

अरूण-कमल-कोमल कलियों की प्याली, फूलों का प्याला,

पीकर खेत खड़े लहराते, भारत पावन मधुशाला।।४४।

हरे हरे नव पल्लव, तरूगण, नूतन डालें, वल्लरियाँ,

मदिरा पीने की अभिलाषा ही बन जाए जब हाला,

Report this page